ट्विटर -फेसबुक पर गुजरातियों का एकाधिकार नहीं, उन्हें बिहारी ने ही सिखाया- प्रशांत किशोर

पटना। जदय से निकाले जाने के बाद चनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आज पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नीतीश कुमार पर हमला बोला। बिहार विकास की बात करने आए प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को गोडसे की विचारधारा पर चलने वाला नेता तो बताया, साथ ही बिना नाम लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर भी निशाना साध लिया। दरअसल, प्रशांत किशोर ने पटना में मंगलवार को एक तरह से एक तीर से दो निशाना साधा। एक ओर जहां उन्होंने बिहार विकास के मुद्दे पर नीतीश सरकार की आलोचना की तो वहीं दसरी ओर ट्विटर और फेसबुक के इस्तेमाल को लेकर बिना नाम लिए पीएम मोदी-अमित शाह पर प्रहार किया। प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के उस बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने ट्विटर पर बोलने के लिए उनकी आलोचना की थी। नीतीश के उस बयान का जिक्र कर प्रशांत किशोर ने कहा, बिहार के युवा अगर फेसबुक- ट्विटर चलाते हैं तो इसमें क्या गलत है? बिहार हमेशा पोस्टकार्ड वाला ही राज्य बना रहे, यह मैं नहीं चाहता हूं। फेसबुक और ट्विटर पर सिर्फ गुजरात के लोगों का एकाधिकार कार नहींगुजरात के लोगों को सीखाने वाले भी बिहार के ही थेमैं चाहता हं कि बिहार के क बिहार के लड़के भी ट्विटर और फेसबुक चलाएं। हम लोग बेवकूफों के राज्य से थोड़े न हैं? आप क्यों चाहते हैं कि बिहार हमेशा गरीब ही रहे? वो फेसबुक-ट्विटर और सोशल मीडिया न चलाएं?%दरअसल, साल 2014 में जब प्रचंड बहुमत से मोदी सरकार पहली बार सत्ता में आई थी तो इसके पीछे प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति को बड़ा कारक माना गया। सोशल मीडिया का भारत में किसी ने पहली बार अगर राजनीतिक तौर पर चनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया तो वह बीजेपी ही थी। उस वक्त लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर और उनकी टीम बीजेपी की कैंपेनिंग देख रहे थे। इससे कपानग दख रह थइसस पहले प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से मतभेदों पर कहा कि नीतीश जी ने मझे बेटे के जैसा नीतीश जी ने मने बेटे के जैसा रखा है। कई मायनों में मैं उनको पिता तुल्य मानता हूं। नीतीश जी फैसलो को मैं दिल से स्वीकार करता हूंपार्टी में रखना और नहीं रखना नीतीश जी का अधिकार है। मेरे और नीतीश जी के बीच मतभेद के 2 कारण हैं। पहला- गोडसे और महात्मा गांधी एक साथ नहीं चल सकते। नीतीश जी कहा था कि हम महात्मा गांधी, जेपी और लोहिया को नहीं छो? सकते है। फिर भाजपा के साथ जाने का क्या मतलब दसरा- बीजेपी के साथ वह जिस तरह से हैं, उसमें पहले की तलना में जमीन- आसमान का फर्क है।